आर्य केन्द्रीय सभा दिल्ली राज्य के तत्त्वावधान महर्षि दयानन्द सरस्वती का
134वां
निर्वाणोत्सव सम्पन्न
आर्य समाज के उत्थान के लिए आत्म चिन्तन व विचार करने का समय आ गया है-
सुरेशचन्द्र अग्रवाल,प्रधान, सा.आ. प्र.सभा
घटती धार्मिकता, आध्यात्मिकता, नैतिकता के लिए बहुत जरूरी है वेदों की
ओर लौटना-डॉ. महेश विद्यालंकार
वर्ष में एक दिन यज्ञ दिवस मनाया जाए - आचार्य सनत् कुमार
जल्द शुरू होगा एम.डी.एच. के सौजर्न्य से ‘आर्य मीडिया सेन्टर’
बर्मा में एम.डी.एच. के सहयोग से शीघ्र ही ‘आर्ष गुरुकुल’ स्थापित होगा
आर्य केन्द्रीय सभा दिल्ली राज्य के तत्त्वावधान में 19 अक्टूबर 2017 को दिल्ली के रामलीला मैदान में महर्षि
दयानन्द सरस्वती का 134वां
निर्वाणोत्सव आचार्य सूर्यदेव शास्त्री के नेतृत्य में यज्ञ से आरम्भ हुआ जिसमें
श्रीमती आरती व श्री जोगेन्द्र खट्टर, श्रीमती अनिता व श्री प्रवीण वधवा, श्रीमती सुधा व श्री विद्यासागर वर्मा
तथा श्रीमती कान्ता व श्री जितेन्द्र आर्य यजमान बने। सभी ने बड़ी श्रद्धा व भक्ति
भाव द्वारा वेद मन्त्रों से महर्षि दयानन्द सरस्वती निर्वाण दिवस के अवसर पर प्रभु
का गुणगान इस सकंल्प के साथ किया कि वे जीवन भर महर्षि दयानन्द सरस्वती के बताए
मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगे। यज्ञ संयोजन श्री मदनमोहन सलूजा एवं श्री कवंरभान
खेत्रपाल ने किया।
श्री सत्पाल भरारा जी, प्रसिद्ध
समाजसेवी ने जयघोष के साथ ‘ओ३म्’ ध्वजारोहण किया। तदुपरान्त श्री धीरज
कान्त व साथियों ने मधुर व प्रेरणापद
प्रभु भक्ति व महर्षि को श्रद्धासुमन से युक्त भजनों से आर्यजनों का मन मोह लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सभा प्रधान आर्य नेता महाशय धर्मपाल जी ने की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री सुरेश चन्द्र अग्रवाल प्रधान, सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा ने
महर्षि के जीवन से प्रेरणा लेते हुए कविता के माध्यम से स्वामी जी को अपने श्रद्धासुमन
अर्पित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि महर्षि दयानन्द जी ने जो सपने संजोये थे
उस आर्य समाज की आज क्या दशा है उसका ग्राफ ऊंचा जा रहा है या नीचे इसे जानने के
लिए आत्म चिन्तन व विचार करने का समय आ गया है। आज हमारा आध्यात्मिक पक्ष बहुत
कमजोर होता जा रहा है। यदि हम सच्चे आर्य बन जायें तभी हम अपने परिवार को आर्य बना
सकेंगे अपने पड़ोसी को आर्य बना सकेंगे और फिर अपने मोहल्ले को आर्य बना सकेंगे।’’
वैदिक विद्वान् व मुख्य वक्ता डा. महेश
विद्यालंकार जी ने अपने उद्बोधन में निर्वाण शब्द की विस्तृत व्याख्या की व ऋषि के
जीवन पर प्रकाश डाला। डॉ. महेश ने कहा ‘‘दुनिया के किसी भी मंदिर में प्रातः
काल यज्ञ नहीं किया जाता। रामायण की कथा होती है, पुराणों की कथा होती है, महाभारत की कथा होती है लेकिन वेद की
कथा किसी भी मन्दिर में नहीं की जाती। आज हमारे समाज में धार्मिकता, आध्यात्मिकता, नैतिकता घटती जा रही है इसलिए वेदों की
ओर लौटना बहुत जरूरी है। आर्य समाज वेदों का ज्ञाता है। आज भी सर्वोत्तम विचारधारा
का धनी आर्य समाज है। आर्य समाज ने जिस विचारधारा का दिया जलाया था उसे कदापि
बुझने नहीं देना है। ऋषि ने हमें बहुत कुछ दिया है हमने उस दी हुई सम्पदा को
सम्भालकर रखना है।’’ आर्य
विद्या परिषद् प्रस्तोता श्री सुरेन्द्र रैली जी ने यज्ञ पर हुए शोध से प्रदूषण के
कम होने सम्बन्धी
परिणामों की व्याख्या की।
वैदिक वैज्ञानिक विद्वान् आचार्य सनत् कुमार जी ने यज्ञ पर किये गये
शोधकार्यां से अवगत कराया। आचार्य सनत् कुमार जी ने कहा ‘‘हमें सरकार के सामने यह प्रस्ताव रखना
चाहिए कि जिस प्रकार योग दिवस मनाया जाता है उसी प्रकार वर्ष में एक दिन यज्ञ दिवस
मनाया जाए।’’ स्वामी
प्रवणानन्दजी ने अपना आशीर्वाद देते हुए कहा कि हम सबने तो ऋषि के जीवन के विषय
में निर्वाण दिवस के विषय में यहां आकर विद्वानों से काफी कुछ सुना समझा लेकिन हमारे जो बच्चे आज छुट्टी के
दिन घरों में खेल रहे हैं दिवाली मना रहे हैं उन्हें आज घर जाकर निर्वाण दिवस के
विषय में स्वामी दयानन्द जी के विषय में दीपावली के महत्त्व के विषय में जरूर
बताएं तभी वे बच्चे स्वामी जी द्वारा बताये मार्ग पर चलना सीख सकेंगे उनके आदर्शों
को अपने जीवन में अंगीकार कर सकेंगे।’’
सभा प्रधान एवं एम.डी.एच. ग्रुप चेयरमैन महाशय धर्मपाल जी ने अपने
अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हमारे ऊपर महर्षि की बहुत बड़ी कृपा रही है। उन्हीं के
आशीर्वाद व प्रेरणा से मैं आर्य समाज की सेवा में सक्षम हुआ हूं आप हमें आशीर्वाद
देते रहें जिससे मैं आर्य समाज के कार्यों को आगे बढ़ाता रहूं।’’ महाशय जी ने आर्य चैनल खोलने के विषय
में ध्यानाकर्षित करते हुए कहा कि ‘‘अभी आर्य समाज का चैनल खोलने में समय
लगेगा लेकिन उसके पहले एक मीडिया सेन्टर खोलने का कार्य तत्काल प्रभाव से प्रारम्भ
किया जा रहा है। वर्मा में गुरुकुल खोलने में सहयोग के सम्बन्ध में महाशय जी ने कहा
कि वर्मा में गुरुकुल खोलने में जो भी धन व्यय होगा वह एम.डी. एच. की ओर से किया
जाएगा आप लोग कार्य प्रारम्भ करें।’’ कार्यक्रम में श्री विद्यासागर वर्मा
कृत योगदर्शन की काव्य रचना पर आधारित सी.डी. व श्री सतीश आर्य द्वारा अंग्रेजी
अनुवाद योगदर्शन एवं डॉ. महेश विद्यालंकार जी द्वारा रचित पुस्तिका मर्यादा
पुरुषोत्तम श्रीराम का लोकार्पण किया गया।
दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा महामंत्री श्री विनय आर्य ने कार्यक्रम का
संचालन करते हुए ‘सहयोग’ टीम के कार्यकर्ताओं का परिचय कराया व
सभी से अपील की कि वे अपनी अनावश्यक वस्तुएं सहयोग को दान करें जिससे वे वस्तुएं
जरूरतमंद व्यक्तियों तक पहुंचाई जा सकें। श्री विनय आर्य ने सूचना देते हुए बताया
कि दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के संयोकत्व में वेद रिचर्स फाउन्डेशन कालीकट में
दिनांक 28 जनवरी से 7 फरवरी के बीच स्वाध्याय एवं भ्रमण का
कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जिसके संयोजक श्री शिव कुमार मदान जी है जो
महानुभाव इस कार्यक्रम में जो जाना चाहें वे श्री मदान जी से सम्पर्क कर सकते हैं।
श्री विनय आर्य ने यह भी कहा कि आज ये आयोजन तभी सफल माना जा सकता है जब हम आज शाम
पटाखे न चलाते हुए अपने-अपने घरों के बाहर यज्ञ करें। यही महर्षि दयानन्द सरस्वती
जी को हम सब की सच्ची श्रद्धाजली होगी और दीपावली बनाने की सार्थकता सिद्ध होगी।
कार्यक्रम में प्रसिद्ध उद्योगपति श्री योगेश मुंजाल, दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा प्रधान श्री
धर्मपाल आर्य, सर्वश्री
ओम प्रकाश आर्य, शिव कुमार
मदान, ईश नारंग, अरुण प्रकाश वर्मा, राजेन्द्र दुर्गा, एस.पी. सिंह, सुखबीर सिंह आर्य, रामनाथ सहगल, विद्यामित्र ठुकराल, मदन मोहन सलूजा, शिव भगवान लाहौटी, ओम प्रकाश घई, विक्रम नरूला, अजय सहगल, योगेश आर्य, जोगेन्द्र खट्टर, हरिओम बंसल, राजीव चौधरी, श्रीमती उषा किरण आर्य एवं दिल्ली की
विभिन्न आर्य समाजों के पदाधिकारियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई।
प्रसिद्ध समाज सेवी व श्री मनुज सेठ, प्रसिद्ध समाज सेवी व आर्यसमाज के
विभिन्न कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान हेतु स्मृति चिन्ह व शाल द्वारा सम्मान
दिया गया। इस अवसर पर स्वामी विद्यानन्द सरस्वती वैदिक विद्वान पुरस्कार से आचार्य
सामश्रवा शास्त्री, डॉ.
मुमुक्ष आर्य पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी स्मृति पुरस्कार से श्री अभिमन्यु चावला
तथा श्रीमती हर्ष नारंग महिला कार्यकर्त्ता पुरस्कार से श्रीमती शशी चोपड़ा को सम्मनित
किया गया। शान्ति गीत व शान्तिपाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। प्रस्तुत रिपोर्ट
तैयार करते समय जिन महानुभावों एवं पदाधिकारियों के नाम लिखने से रह गये हों उनके
लिए लेखक क्षमाप्रार्थी है।
-सतीश चड्डा, महामंत्री
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