मनसे की धमकी
के बाद पाक कलाकार फवाद खान के भारत छोड़ने के बाद राजनीति और मीडिया में एक अजीब
बहस चल पड़ी कुछ इसे कला का अपमान तो कोई कला पर हमला बता रहा है. क्वीन’ के निर्देशक विकास
बहल का कहना है कि पड़ोसी देश के कलाकारों को देश छोड़ने पर मजबूर करने के बजाए,
इस प्रकार के मुद्दों (आतंकवाद से संघर्ष) पर भावी कार्रवाई के लिए
रणनीति बनानी चाहिए. गायक अभिजीत ने भाषा से संयम खोते हुए कई बालीवुड फिल्म निर्माताओं को
दलाल और पाक कलाकारों को बेशर्म तक कह डाला. पूरा प्रकरण देखकर कहा जा सकता है कि
बालीवुड दो हिस्सों में बंटता सा नजर आया. अभिजीत ने पिछले दिनों गुलाम अली के खिलाफ भी
कहा था कि इन लोगो के पास सिर्फ
आतंकवाद है
और हम अपने देश में इन्हें पाल
रहे है. पर उस समय सिने अभिनेता नसरुददीन शाह ने इस मामले पर दुख
जताते हुए कहा था इस घटना से में बहुत शर्मिंदा हूँ क्योंकि जब में
लाहौर गया था तो मेरा बहुत शानदार स्वागत किया गया था. इसका मतलब लड़ाई कलाकारों की नहीं है. न व्यापारियों की, राजनेता भी
गलबहिया करते नजर आते है और क्रिकेटर भी.
भारत और पाकिस्तानी कलाकारो का
एक दूसरे के यहां आना
जाना लगा रहता है.
राजनेता और मीडिया भी खबरों के अलावा आपसी संवाद स्थापित करते रहते है. क्रिकेटर भी मैच
के बाद या कमेंटरी रुम में अच्छा वार्तालाप करते है. उधोगपति और व्यापारी
भी अपने हितोनुसार
आते जाते और मिलते रहते है. अब इस सारे प्रसंग पर गौर करने कई
सारे प्रश्न जन्म लेते है कि जब राजनीति, कला, व्यापार और खेल के साथ पाकिस्तान
की कोई दुश्मनी नहीं है तो पाकिस्तान का भारत में दुश्मन कौन है? भारत की सेना? पर
सेना के जवानों की यहाँ कौनसी ऐसी फैक्ट्री या परियोंजना चल रही है जो पाकिस्तानी
उसे हथियाना चाहते है? या फिर पाकिस्तान के दुश्मन वो लोग जरुर है जो बाजारों में
सामान खरीदते आतंकियों द्वारा बम विस्फोट में मारे जाते है. या फिर सरहद के किनारे
बसे गाँवो में खेलते मासूम बच्चे जो अचानक हुई गोलाबारी में मारे जाते है वो जरुर
पाकिस्तान के दुश्मन होंगे?
फ़िल्मी सितारें तो पाकिस्तान के दोस्त है भला कला में
क्या दुश्मनी? ओमपुरी उधर फिल्म बनाता है फवाद खान इधर कुमार सानू के वहां शो होते
है और राहत फतेह अली खान के इधर. सानिया मिर्जा का शोहर पाकिस्तानी है तो अलगावादी
नेता यासीन मलिक की बीबी पाकिस्तानी. जब राजनीती, कला, व्यापार और मीडिया में से पाकिस्तान का यहाँ
कोई दुश्मन नहीं है तो पाकिस्तान का यहाँ तकरार किससे है? क्यों रोजाना सीमा पार
से सीजफायर टूटते है, क्यों हमारे देश के सैनिको पर घात लगाकर हमले
होते है. क्यों उडी, पठानकोट में आतंकी हमले होते है? आखिर
उनकी यह दुश्मनी किससे है और कलाकारों की नजर में दुश्मनी का मापदंड क्या है?
स्थितियों का विश्लेषण करने की
मेरी सीमित योग्यता के चलते मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ अभिजीत
ने जो
कहा वह उसकी देश के प्रति गहरी आस्था को दर्शाता है उसने कला से पहले देश को सम्मान दिया, हो
सकता है उसके अन्दर शहीद हुए जवानों के परिवारों के प्रति प्रेम जागा हो, आखिर
जो लोग सीमा पर बैठकर हमारे हितो की रक्षा करते है क्या हम उनके हित के लिए
दो शब्द भी नही कह सकते? जब हिन्दुस्तान के मुस्लिम राजनेता सलमान
रुश्दी के जयपुर साहित्य सम्मेलन में आने का विरोध कर सकते है तो मनसे और
अभिजीत ने गुलाम अली का विरोध करके कोई पाप अनाचार नहीं किया इनके अन्दर भी
देश प्रेम की भावना हिलोरे मार सकती है! क्योकि जिस देश से कलाकार आते है उसी देश
से आतंक भी आता है, जिस देश के कलाकार यहाँ से पैसा और सोहरत बटोरकर ले जाते है
उसी देश के आतंकी आकर जवानों के सर काटकर ले जाते है. तो इसका मतलब पाकिस्तान मेरा दुश्मन है? या फिर
हर उसका दुश्मन है जिन्हें भारत की मिटटी से प्यार है? दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा लेख राजीव चौधरी
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