लेख महेन्द्र प्रकाश शिवाकोटी, काठमाण्डू, नेपाल
काठमाण्डू नेपाल में प्रत्येक वर्ष (जेष्ठ) जून में महीने
में पुस्तक मेला लगता है। इस बार 20वां नेपाल अन्तर्राष्ट्रीय पुस्तक
प्रदर्शनी नेपाल, भारत और
चीन के प्रकाशन स्टाल लगे हैं। इस मेला में वैदिक प्रकाशन पहले कभी नहीं देखा और न
सुना । मैं दो कारण से इस स्टाल से आकर्षित हुआ| पहला मै आध्यात्मिक व्यक्ति हूं।
दूसरा मैं नेपाल में संविधान निर्माण के क्रम में ‘‘आर्य ब्राह्मण संघ नेपाल’’ का महासचिव हूं। स्टाल में धार्मिक और
आध्यात्मिक पुस्तके थीं वेद को ज्यादा महत्त्व देकर सजाया गया था। मैं एक
आध्यात्मिक विषय का जिज्ञासु व विद्यार्थी होने के कारण इस स्टाल के प्रति ज्यादा
आकर्षित हुआ। स्टाल में दिल्ली से आए रवि प्रकाश जी बड़े सहयोगी और पाठक के
जिज्ञासाओं का समाधान कर रहे थे।
रवि प्रकाश जी के सामने मैने भी कुछ जिज्ञासा रखीं। नेपाल भारत में
हमारे पूर्वजों से मानते हुए आये हैं धार्मिक आस्था, महान ग्रन्थो, भगवान के अवतार, भारत से आने वाले बड़े-बड़े महात्माओं के
प्रवचन और दृष्टानत के भावनाओं से ऊपर उठकर आर्य समाज का विचार सुनकर मुझे बहुत ही
अजीब और आश्चर्य लगा।
यदि आर्य समाज के सत्य विचार जनमानस में नहीं आएंगे तो विरोध के लिए विरोध, मुद्दे के लिए मुद्दा, विचार के लिए विचार ही रहेंगे। उससे
ऊपर उठकर कुछ काम करने का साहस कौन करेगा? क्या आज तक सत्य छिपा हुआ था? क्या हम लोगों को अन्धविश्वास ने घेर
कर रखा है? आने वाले
दिन आर्य समाज के लिए महत्त्वपूर्ण अवसर, चुनौती और कठिन संघर्ष की यात्रा होगी।
क्या हम ;नेपाल और
भारतवासी आजतक तो माना हुआ, सुना हुआ
सब अन्ध विश्वास ही है? भगवान कौन
है? अवतार
क्या है? महात्मा
कौन हैं? विष्णु
कौन है? राम कौन
है? कृष्ण, शिव, ब्रह्म कौन है? ब्रह्माण्ड का सत्य क्या है? जो पहले भी था? आज भी है
और कल भी रहेगा।
यदि आर्य समाज ने खोजा, देखा सत्य
ही संसार का सही मार्ग है तो इम लोग सत्य बात सुनकर ग्रहण नहीं कर सके? क्या इस बात का प्रचार हो नहीं सका? क्या आर्य समाज ने सत्य बात अल्मारी की
दराज में बन्द करके रखी है? क्या ‘सत्य और असत्य’ के आन्दोलन आगे नहीं बढ़ा? क्या सत्य और असत्य में इतना मतभेद रहा?
समग्र कहने का तात्पर्य आर्यसमाज जागरूक? निष्कलंक और
भगवान का सत्य का रथ संसार भर में दौड़ाने के लिए पीछे न रहे। आर्य समाज सही अर्थ
में सत्य का अभियान आगे बढ़ाना है तो महाभारत में कृष्ण और अर्जुन के प्रयोग किया
रथ अब ‘सत्य’ का प्रकाश सारे पृथ्वी पर चलाना पड़ेगा।
तभी सत्य प्रत्येक के मन के अन्दर और घर के भीतर जाए ऐसा कठोर साहस और संकल्प करना
पड़ेगा ऐसा मेरा मत है।
अन्त में आर्य सभा का नेपाल में वेद प्रचार प्रसार बहुत कम है। सीमित दायरा
से निकलकर, जनमानस
में ले जाने की बहुत जरूरत है। समाज में वेद के प्रति जो श्रधा है लेकिन वेद के
दर्शन किसी ने नहीं किये है, वैदिक
पुनर्जागरण के लिए आर्य समाज आगे आए और हम सभी का साथ सहयोग रहेगा यदि मेरा
हार्दिक विनम्र अनुरोध है। लेखक नेपाल में संविधान निर्माण के क्रम में ‘‘आर्य ब्राह्मण संघ नेपाल’’ का महासचिव है
No comments:
Post a Comment