कई
बार न्यूज़ चैनल देखते है तो लगता है जैसे मीडिया के मन में एक संदेह घर कर गया है
कि वो ही इस देश का सञ्चालन कर रही है| किसी को दागदार तो किसी को साफ सुथरा कहने
का अधिकार सिर्फ चंद मीडिया घरानों के पास रह गये है| जिस पर चाहों आप कलंक लगाओ जिसे
चाहों आप हीरो बना दो यह कैसे हो सकता है? अब आप सीमा के सजग प्रहरी भारतीय सेना
के जवानों को कैसे बदनाम कर सकते है? कन्हेया द्वारा सेना पर आरोप के बयान के बाद जैसे कुछ मीडिया
चैनलों में जैसे जान सी आ गयी थी| किन्तु अब मंगलवार को हुई हंद्वाडा की हिंसा को
जिस तरीके से मीडिया ने पेश किया वो वाकई शर्मनाक था| दरअसल, हंदवाड़ा में कुछ शरारती तत्वों ने एक
छात्रा के साथ छेड़छाड़ और मारपीट की इसके बाद उपद्रवियों ने सेना के खिलाफ
लोगों को उकसाया, जिससे
हालात खराब हो
गए। इस दौरान हालात पर काबू करने के लिए सेना को फायरिंग करनी पड़ी जिसमें एक महिला समेत
तीन लोगों की मौत हो गई और चार लोग जख्मी हुए थे।
यह खबर कुछेक ऑनलाइन
न्यूज़ रूम से कुछ इस तरह चली कि आज घाटी के हंद्वाडा में हुई एक घटना में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर भारतीय सेना के जवानों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। इस गोलीबारी के बाद मची भगदड़ में जहाँ कई लोग घायल हो गए वहीँ सेना की गोलियों का शिकार हुए २ नौजवानों की मौके पर ही मौत हो गई।
लोगों के विरोध प्रदर्शन की वजह आर्मी के एक जवान की घिनौनी करतूत थी जिसमें उसने एक कॉलेज की स्टूडेंट के साथ छेड़छाड़ की थी। मारे गए लड़कों में से एक का नाम मोहम्मद इक़बाल है जोकि कुपवोर के बोमहाम इलाके का रहने वाला है वहीँ दुसरे का लड़के का नाम नईम क़दीर भट्ट है जोकि हंद्वाडा से ही है। जबकि लड़की ने सामने आकर सारी
सच्चाई सामने रख दी खुद पीड़ित लड़की ने सामने आकर बताया कि एक युवक ने पहले
उसे थप्पड़ मारा था
और फिर बाद में लोगों को इकट्ठा कर उन्हें उकसा दिया
जिससे माहौल खराब हो गया। मैं अपने
स्कूल से वापस आ रही थी उसी वक्त मैंने अपना स्कूल बैग अपनी दोस्त को दिया और बाथरूम जाने लगी। तभी एक स्थानीय लड़का वहां आया और उसने मेरा बैग छीनने की कोशिश की, मैंने उस लड़के का विरोध किया तो उसने मुझे थप्पड़ मारा। तभी एक पुलिसवाला आया और मुझे पुलिस स्टेशन ले गया। बाद में उस लड़के ने और भी लड़कों को भड़काया जिससे माहौल खराब हो गया।
कश्मीर कभी भारत के
सबसे बड़े राज्यों में से एक हुआ करता था। आज भी धरती का स्वर्ग कश्मीर को ही माना जाता है। पर अब कश्मीर असलियत में कश्मीर रहा ही नहीं, यहां तो कश्मीर के कई टुकड़े हो चुके हैं। वैध और अवैध रूप से कश्मीर पर 3 देशों की हुकूमत है। जम्मू और
कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, तो पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। वहीं अक्साई चिन पर चीनी कब्जा है| पिछले दिनों अभिनेता अनुपम खेर ने कहा था कि जिस दिन संविधान का अनुच्छेद 370 हटेगा और बंगाल, पंजाब, गुजरात तथा देश के अन्य भागों के लोगों को जम्मू-कश्मीर में बसने की अनुमति होगी, उस दिन “कश्मीर समस्या” सुलझ जाएगी।
लेकिन जिस तरीके से 2011 में विकीलीक्स ने
खुलासा करते हुए कहा था कि कश्मीर की राजनीति में पैसे का बोलबाला है। उसे देखकर
नहीं लगता कि यह मामला सुलझ सकता है| विकीलीक्स ने अमेरिकी डिप्लोमैट्स के
केबल्स के हवाले से लिखा है कि अलगाववादी नेताओं में पैसे का लालच इतना
है कि वो अपने फायदे के लिए यहां की समस्या का समाधान नहीं होने देना
चाहते। फरवरी 2006 के एक केबल में तब अमेरिकी राजदूत डेविड मलफर्ड ने अपने
विदेश मंत्रालय को लिखा था कि कश्मीर की राजनीति डल झील जितनी गंदी है। विकीलीक्स के
मुताबिक कश्मीर के लगभग सभी अलगाववादी नेता भारत और पाकिस्तान दोनों से पैसे लेते
हैं और वो कश्मीर से लेकर दुबई तक में जायदाद खरीदते हैं। अब हम कैसे मान ले
कि इस खेल में सिर्फ अलगाववादी नेता शामिल है? वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण से लेकर
लेखिका अरुधंति राय, वामपंथी सेकुलर सब के सब एक सुर में बोलते दिखाई देते है|
हमें नही पता इन लोगों को देश का विरोध करने का क्या मिलता है किन्तु इतना पता है
कि अतीत में गद्दारों के कारण ही भारत देश हजार वर्षो के करीब गुलाम रहा था| अत: मीडिया से अनुरोध है प्लीज़ सेना को मत घसीटो यह काम तो पाकिस्तान की मीडिया कर ही रही है आप क्यों उसके दावे को मजबूत कर रहे है? लेखक राजीव चौधरी
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