मनुस्मृति के विषय में भ्रांतियों निवारण के लिए आर्ष साहित्य
प्रचार ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित एवं डॉ सुरेंद्र कुमार द्वारा लिखित मनुस्मृति
भाष्य उपलब्ध है।
आखिर क्या हैं मनुस्मृति अब स्वयं पढ़िए और जानिए
एक शेर जंगल में घास खा रहा हो और दूसरा मांसाहारी हो, क्या यह हो
सकता है? या एक खरगोश वनस्पति और दूसरा कीड़े मकोड़े खाता हो? शेर हो खरगोश क्या
इनके अलग-अलग धर्म हो सकते है? सब कहेंगे नहीं, बिलकुल नहीं तो सोचिये मनुष्य का
धर्म अलग-अलग कैसे हो सकता है? आज के संसार में सबसे बड़ा प्रश्न हैं वास्तविक धर्म
क्या है और धर्म कैसा होना चाहिए?
आप आये दिन नेताओं और बुद्धिजीविओं की बहस देखते होंगे महीने दो
महीने में मनुस्मृति को लेकर भी बहस दिखाई देती है. तब सब लोग सोचते है आखिर
मनुस्मृति में ऐसा क्या है जो ये बहस का विषय बनी है.? दरअसल समाज के सामाजिक
सविधान मनुस्मृति को लेकर लोगों के मन में बहुत जिज्ञाषायें खड़ी रहती है.
सब जानते हैं प्राणीमात्र के लिए एक-सा होने से संसार भर के
मनुष्यों का धर्म वेद है.
मनु महाराज ने धर्म के दस लक्षण कहे हैं और मनु सृष्टि के प्रथम
शासक चक्रवर्ती (विश्व) भर के राजा हुए हैं उनका रचा स्मृति ग्रन्थ सब विद्वानों
ने हर प्रकार
से उच्च और श्रेष्ठ माना है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वेश्य और शुद्र क्या हैं क्यों
आये दिन इन्हें लेकर बयानों के तीर चल रहे है? हम अक्सर सुनी सुनाई बातों पर
विश्वास कर लेते है लेकिन असल ज्ञान पढ़कर होता हैं. जब हम चर्चा में होते हैं तो
हमारे पास साक्ष्य मजबूत हो तो कोई हमें हरा नहीं सकता.
परमात्मा के बनाये हुए सूर्य,चन्द्र,तारे,जल,हवा,जमीन आदि का उपयोग सबके लिए है,किसी
से ईश्वर ने भेदभाव नहीं किया,और कर्मों का फल भी सबको भोगना
पड़ता है चाहे मुसलमान हो या हिन्दू।इसका सबसे बड़ा प्रमाण ये है कि दोनों जातियों
में सुख-दुःख देखे जाते हैं।इसी प्रकार वेद का ज्ञान ईश्वर ने सबके लिए दिया है,कोई उससे आचरण में लाकर लाभ न उठाये तो इसमें ईश्वर क्या करे।....
मन में उपजते सभी सवालों का जवाब
जानिए मनुस्मृति से
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