देश के कुछ नामी ‘बुद्धिजीवियों’ की वॉल्स से अद्भुत नज़राने इकट्ठा किये
हैं. स्वयं पढ़िए और तय कीजिये कि क्या ये लोग आपके ‘ओपिनियन मेकर्स’ होने
के लायक हैं?
1.सर्जिकल स्ट्राइक पहले भी होते थे, मीडिया में आ के गाए नहीं जाते थे.
2.इन्होंने तो म्यांमार में भी दावा किया था, सुबूत तो नहीं दिखा पाए.
3.वीडियो बनाया है तो रिलीज़ क्यों नहीं करते? है हिम्मत तो करें सार्वजनिक!
4.सर्जिकल स्ट्राइक सेना ने किये हैं, इसमें मोदी-मोदी क्या है?
5.सुन लिया न? पाकिस्तान ने एक जवान पकड़ लिया है, ये सरकार यही कराएगी.
6.बीबीसी ने अब तक भारत के कथित सर्जिकल स्ट्राइक की पुष्टि नहीं की है.
7.पुष्टि तो करे कोई! डीजीएमओ से क्या प्रेस कांफ्रेंस करा रहे हैं, रक्षा मंत्री क्यों नहीं ज़िम्मेदारी लेता?
8.पाकिस्तान ने साफ़ कह दिया है ऐसा कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुआ, ये इंडियन मीडिया का जिंगोइज़्म है.
9.बंसल केस में अमित शाह को बचाने के लिए पाकिस्तान पे हमले की खबर प्लांट करा दी.
10.मोदी ने खुद ट्वीट क्यों नहीं किया फिर सेना के जवानों की हौसला अफजाई के लिए?
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जो लोग भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक्स के सुबूत मांग रहे थे, भारतीय
होने के बावजूद पाकिस्तान के इनकार का हवाला दे के भारत को ही नीचा दिखा
रहे थे, आतंक के सरगना हाफ़िज़ सईद का ताज़ा बयान उन सबके मुंह पे तमाचा है.
भारत के कथित बुद्धिजीवी मानें ना मानें, पाकिस्तान की सरकार माने न
माने, उसकी समानांतर सत्ता पे काबिज़ हाफ़िज़ सईद तो मान रहा है, चिल्ला रहा
है, तिलमिला रहा है.
हाफ़िज़ सईद की तिलमिलाहट से एक बात साफ़ हो गई कि ताल सही जगह ठुकी है.
रही बात Zee TV वालो की, जिन्हें हाफ़िज़ सईद ने खुलेआम नाम ले के धमकी दी
है, उन्हें आतंकवादियों के सर्टिफिकेट्स की न कभी ज़रूरत थी, न रहेगी. हमें
हाफ़िज़ के पसंदीदा पत्रकार होने का कोई शौक नहीं.
देश के दुश्मनों का डीएनए ऐसे ही बेनकाब होता रहेगा, ताल ठोकी जाएगी और एक्स्ट्रा स्ट्रांग ठोकी जाएगी!
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जो भारत में पाकिस्तान का आधिकारिक उच्चायुक्त न कह सका, वो आधे राज्य के
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कह डाला. मोदी जी, सुबूत दिखाओ. हम अपने
देश की सेना के साथ हैं, लेकिन सेना के कहे पे भरोसा नहीं करते जी!
कहते हैं सीएनएन दिखा रहा है वहां तो बच्चे खेल रहे हैं. वो जो दिखा रहा
है आप उसपे सवाल नहीं उठा रहे, अपने देश की सेना पे सवाल उठा रहे हैं.
हमारी सेना ने तो कभी कहा ही नहीं कि रिहायशी इलाके पे हमने हमला किया,
सीएनएन रिहायशी इलाके दिखा रहा है, आप उसपे सवाल नहीं उठा रहे, अपने देश की
सेना पे सवाल उठा रहे हैं.
कहते हैं सीएनएन को सुबूत दे दीजिए कि हमारी सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक
किये. सीएनएन से भी पूछ लेते ओसामा के ऑपरेशन के बाद एबटाबाद गए थे क्या?
ये जांचने के लिए कि यहाँ ओसामा नहीं था और उसे मारे जाने के सुबूत नहीं
हैं. सीएनएन अब दिखा रहा है, आप उसपे सवाल नहीं उठा रहे, अपने देश की सेना
पे सवाल उठा रहे हैं.
हमारी सेना ने आतंकी कैंप नष्ट किए. सीएनएन से कहिए न कि वो आतंकी कैंप
दिखाए और बताए कि देखिये यहाँ तो कुछ हुआ ही नहीं, सारा धंधा वैसे ही चल
रहा है. लेकिन वो कैम्प्स नहीं दिखा रहा है, और आप उसपे सवाल नहीं उठा रहे,
अपने देश की सेना पे सवाल उठा रहे हैं!
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…तो भारतीय सेना ने वो कर दिया जिसकी क्षमता उसके पास हमेशा से थी, लेकिन उसके हाथ हमेशा से बंधे रहे थे.
भारत ने संसद हमले के बाद भी ऐसी कार्रवाई नहीं की थी, मुम्बई हमले के
बाद भी. हमेशा एक सीज फायर के नाम पे भारतीय फौज को अपने लोगो को आतंकी
हमलों में जान गंवाते देखने के बाद मन मसोस के रह जाना पड़ता था. लेकिन अबकी
बार एलओसी पार हो गई. आखिर सब्र का बाँध कब तक अटका रहता?
हैरानी है कि कई लोगो का (पढ़ें पत्रकारों का) जोर अब भी इस बात पे है कि
पाकिस्तान तो मना कर रहा है , ऐसा कुछ हुआ ही नहीं. इनमें ज़्यादातर वही
लोग हैं जो म्यांमार में भारतीय ऑपरेशन को झूठ साबित करने के लिए कई दिन तक
पूरी ताकत झोंके रहे थे.
लेकिन पाकिस्तान ने कब किसी बात को माना है जो वो आज मान लेगा? उसने
कसाब को अपना आदमी माना? मुम्बई हमले में अपना हाथ माना? संसद हमले में
अपना हाथ माना? दाऊद उसके यहाँ है कभी माना? अच्छा चलिये ओसामा बिन लादेन
उसके यहां था, कभी माना था? ओसामा को मार दिए जाने के बावजूद पाकिस्तान ये
कहता रहा था कि ऐसा कुछ नहीं हुआ.
फिर पाकिस्तान से हमारे ये कथित बुद्धिजीवी कैसी स्वीकारोक्ति की उम्मीद कर रहे हैं?
इसलिए ऐसे कथित बुद्धिजीवियों की बजाए आज सेना की सुनिए. सेना में भी आपका विश्वास बढ़ेगा, और लोकतंत्र में भी.
– रोहित सरदाना
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