भारत देश में इन दिनों
विवादों की एक लू सी चल रही है जिसकी चपेट में देश की राजनीति मीडिया, नेता और अभिनेता आ गये और देष की रक्षा करने वाले जवान, अन्न पैदा करता किसान, देश का गरीब, मजदूर, व्यापारी मूक होकर देख रहा है| अभी पिछले दिनों
ओवेसी ने अपने बयान में कहा कि यदि कोई मेरी गर्दन कर चाकू भी रख दे तब भी में
भारत माता की जय नहीं कहूँगा| हालाँकि उनके इस बयान की उदार और बुद्धिजीवी मुस्लिम
जगत ने काफी आलोचना की जावेद अख्तर ने तो उन्हें गली मोह्हले का नेता तक बता डाला
और तीन बार ऊँचे स्वर में भारत माता की जय का संसद के सदन के उद्घोष भी किया
किन्तु इसके बाद भी विवाद थमता दिखाई नहीं दे रहा है|
हैदराबाद के एक
इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन जामिया-निजामिया ने भारत माता की जय बोलने के खिलाफ फतवा
जारी किया है। ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, इस्लाम मुस्लिमों को इस नारे की इजाजत नहीं देता।
इंसान ही इंसान को जन्म देता है, धरती नहीं! दारुल उलूम इफ्ता और इस्लामिक फतवा सेंटर
के मुफ्ती अजीमुद्दीन ने कहा, कुदरत के कानून के मुताबिक एक इंसान ही इंसान को
जन्म दे सकता है। उन्होंने आगे कहा, (लैंड ऑफ इंडिया) को भारत को मां कहना ठीक नही है। एक इंसान
की मां एक इंसान ही हो सकती है, किसी धरती का कोई टुकड़ा नहीं।
- फतवे का जिक्र करते हुए मुफ्ती ने कहा, इस्लामिक रूल्स के मुताबिक हम भारत की धरती को भारत माता नहीं कह सकते। मौलवी
जी के अनुसार इन्सान का जन्म बायोलोजी पर आधरित है| सही बात है कि आप लोगों ने
विज्ञानं को स्वीकार तो किया जब यह स्वीकार किया तो क्या यह स्वीकार कर सकते है कि
किताबें आसमानों से नहीं उतरती? और धरती चपटी के बजाय गोल है, आसमान सात नही होते??यदि इन्सान को इन्सान जन्म देता है तो खुदा ने मिट्टी से आदम को कैसे बनाया? यदि इस मुद्दे पर विज्ञानं की सहायता ले तो
धर्मग्रन्थ संदेह के कटघरे में खड़े हो जायेंगे बहरहाल बहुत सारे विवादित प्रश्न निकलकर आयेंगे
हम
सबके लिए यह देश हमारी मातृभूमि है, हम सब देशवासी इस मिट्टी की संतान जैसे है, इसलिए हम ‘भारत माता की जय ‘बोलते हैं। यदि अब कोई इस भावनात्मक
रिश्ते के बीच विज्ञानं को खड़ा कर दिया जाये तो तो शायद विज्ञानं सामाजिक रिश्तों
पर ऊँगली खड़ी कर सकता है| हमें साहित्यकार राम तिवारी का एक ब्लॉग अच्छा लगा
जिसमें उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक हम ओवेसी जैसों की अनदेखी करते
रहेंगे या उसका समर्थन करते रहेंगे तो इससे नेताओं का ही फायदा होगा। क्योंकि वर्ग
चेतना विहीन अधिकांश सीधी सरल हिन्दू जनता और किसान – मजदूर संघषों में तो एक दूजे के साथ
होंगे, किन्तु संसदीय लोकतंत्र में वोट की
राजनीति के अवसर पर वह ओवैसी के बोल बचन जरूर याद रखेगी। और ध्रुवीकृत होकर मुस्लिम मत
यदि ओबैसी की जेब में होंगे इससे सिद्ध होता है कि ओवैसी जैंसे लोगों की हरकतें
धर्मनिरपेक्षता और जनवाद के पक्ष में कदापि नहीं हैं। देश के हित में भी बिलकुल नहीं हैं| सिर्फ
एक ओवेसी के या कुछ मजहबी अड़ियल लोगों के ‘भारत माता की जय’ नहीं बोलने पर इतना तनाव क्यों ? यह उनका राष्ट्रद्रोह नहीं है, मूर्खता अवश्य हो सकती है। सामाजिक- मजहबी रूढ़िवादिता
का नकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है। इस्लाम में पुरुषसत्तात्मक सोच का बड़ा
प्रभाव है। इसीलिये ओवैसी को ‘भारत माता’ के स्त्रीसूचक शब्द को सलाम करने में
परेशानी हो सकती है। भारत के पुरुष त्वरूप को ‘जय हिन्द’ से नवाजने में ओवैसी को कोई गुरेज नहीं
है। चूँकि
हिन्दुओं को यह देश उनकी मातृभूमि है, माँ है, इसलिए
वे ‘भारत माता की जय ‘बोलते हैं। लेखक राजीव चौधरी
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