पिछले दो तीन महीने से चली आ रही असहिष्णुता की
आंधी ने संसद के शीतकालीन सत्र को भी अपनी चपेट में ले लिया जिस संसद सत्र के हर मिनट पर करीब 29,000 रुपये का खर्च आता है। राज्यसभा में आमतौर पर दिन में करीब पांच घंटे और लोकसभा करीब छह घंटे
यानी कुल 11 घंटे कामकाज होता है। उस संसद में देश के
आर्थिक, सामाजिक विकास और गरीब को रोटी कैसे मिले बजाय इसके एक बिना हुई बात असहिष्णुता पर बहस
कर 29 हजार रूपये प्रति मिनट फूंके जा रहे है| देश का विपक्षी दल सत्ता पक्ष पर
आरोप लगा रहा है कि देश के अन्दर मुस्लिम सुरक्षित नहीं है हम आपको भारत के इतिहास
में न ले जाकर विश्व के इतिहास भूगोल में लेकर जाना चाहते थे शायद कुछ आंकड़े के
साथ स्तिथि स्पष्ट हो जाये और ये भी पता चले की कौन सुरक्षित है कौन नहीं| लेकिन आज से
20 साल बाद यानी 2035 में मुसलमान भारत में
बहुसंख्यक हो जाएंगे और आबादी में हिंदुओं को पीछे छोड़ देंगे! इस तरह के सवालों पर गूगल
सर्च इंजन पर बड़े ही विस्फोटक जवाब मिलते हैं. आज इराक, ईरान, सीरिया, तुर्की, अफगानिस्तान, नाइजीरिया आदि मुल्कों में जाकर देखे
तो एक ही मजहब, एक ही रसूल, और एक ही विचारधारा के लोग किस तरह अपने मजहब के नाम
पर मार-काट मचाये हुए है| अभी हाल ही में केंद्र की सत्तारूढ़ दल बीजेपी के एक
मंत्री नितिन गडकरी ने एक न्यूज़ चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में कहा था कि जब तक
भारतीय संस्कृति, इतिहास विरासत, विचारवान लोग बहुसंख्यका में है तभी तक सभी
मजहब,पंथ को मानने वाले लोग इस देश में सुरक्षित है दुर्भाग्य वश जिस देश में 51%
आबादी मुस्लिम हो जाती है विश्व के एक भी देश में समाजवाद नहीं है धर्मनिरपेक्षता
नहीं है लोकतंत्र नहीं हैं| आज जितनी चर्चा न्यूज़ चैनल हिन्दू धर्म पर जातियों पर
पूजा पद्धति पर कर लेते है क्या वो भारत में 14% मुस्लिम आबादी के जिन्हें
अल्पसंख्यक भी कहा जाता है उन पर कर सकते है? अभी तो मात्र चर्चा से डर लगता है
यदि यह आबादी बढ़कर 40% हो जाती है तो तब सहिष्णुता का ठेका कौन लेगा? भारतीय जीवन
मूल्यों परम्पराओं में आदिकाल से एक रीति रही है कि यदि अपना बच्चा बाहर झगड़ा कर
रहा है और हमे पता है गलती दुसरे की है तब भी अपने को ही डांटते फटकारते है लेकिन
इस्लाम के धार्मिक कानूनों में भी इस तरह
का कोई प्रावधान नहीं है जिसका मतलब साफ है कि भारतीयता की रग-रग में सहिष्णुता का अमृत
भरा है जिसे सारी दुनिया जानती है यदि हम
असहिष्णु होते तो क्या मुग़ल 800 साल भारतीय जीवन मूल्यों परम्पराओं से
खिलवाड़ करते? यदि हम असहिष्णु होते तो क्या अंग्रेज 250 साल हमें लुटते? हम बड़ी
आसानी से दूसरों की परम्परा को स्वीकार कर लेते है इस देश में आज तक बोद्ध, जैन,
पारसी, इसाई और यदि 84 का अपवाद छोड़ दे तो सिखों को कोई परेशानी नहीं जबकि
बहुसंख्यक होते हुए भी इन सब से ज्यादा यदि त्रासदी किसी ने झेली तो स्वम हिन्दूओ ने
झेली| कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्यक हुआ तो सबसे पहले उसका शिकार हिन्दू हुआ, केरल
मालाबार में कौन असहिष्णु हुआ? यदि ये पुराना इतिहास है तो आज बंगाल का चौबीस
परगना, बिहार का सीमांचल, पच्छिम उत्तरप्रदेश के कई जिले मजहबी मानसिकता के कारण
असहिष्णु है!
हमारा कहने का आशय सिर्फ इतना हैं शांति, सहिष्णुता
का पाठ दोनों और पढाया जाना चाहिए नही तो निर्बोध मासूम मारा जायेगा क्योंकि एक को
अपनी मिटटी अपनी परम्परा से प्रेम है और दुसरे को हिंसा करने पर शबाब मिलने का पाठ
पढाया जा रहा है| देश में लोगों को नारा लगाते देखते है कि हिन्दू, मुस्लिम, सिख,
इसाई अच्छी बात है पर इन सब भाइयों के कानून अलग-अलग क्यों? मुस्लिम के उसकी शरियत
हिन्दू के लिए भारतीय सविधान फिर भाई-भाई
कैसे हुए? हिन्दू एक शादी कर सकता है मुस्लिम के लिए कोई बंधन नहीं इसके
लिए सरकार को एक देश एक कानून करना होगा ताकि यह भाई चारा बना रह सके क्योंकि
इतिहास कम से कम इतिहास इस बात का साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराता और जो पहले भुगत लिया
दुबारा न भुगतना पड़े
राजीव चौधरी
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